After the completion of Monthly Hanuman Chalisa Satsangs, now in its place monthly Satsang on Sunderkand is being started - on the last Sunday of every month. Today on 19th Jan, the beginning was made with the Akhand Path of Sunderkand - by the Daas Bagichi Ramayan Mandal. The first Sunderkand Satsang is on 23rd Feb.
वेदांत मिशन, लखनऊ के द्वारा 6 से 13 जनवर तक लखनऊ के 'हरि ॐ मंदिर' में पूज्य स्वामिनी समतानंदजी का गीता ज्ञान यज्ञ आयोजित हुआ। इस ज्ञान यज्ञ में पूज्य स्वामिनीजी ने सायंकालीन सत्र में गीताजी के 5वें अध्याय पर और प्रातःकालीन सत्र में दृग दृश्य विवेक पर प्रवचन किये।
P. Guruji Swami Atmananda Saraswatiji
'कर्म संन्यास योग' नामक गीताजी के पाँचवे अध्याय में भगवान श्री कृष्ण इस रहस्य को उद्घाटित करते हैं कि यद्यपि संन्यस्त होकर मुक्त हो जाना मनुष्य का परम लक्ष्य है लेकिन कर्म योग को जीवन में पूरी समग्रता से धारण करने से ही संन्यास का मार्ग प्रशस्त होता है।
'दृग दृश्य विवेक' वेदान्त के इस सुंदर प्रकरण ग्रंथ में दृष्टा और दृश्य का विवेक कराके अपने ब्रह्म स्वरूप में जगने तक की पूरी यात्रा और प्रक्रिया बताते हैं।
अत्यंत तीव्र शीत लहर के बावजूद अनेकों भक्तों ने अपने घर के cozy वातावरण से बाहर निकलकर इन दोनों विषयों का लाभ लिया। ज्ञान यज्ञ का समापन हरि ॐ मंदिर द्वारा आयोजित भंडारे से हुआ।
वड़ोदरा के सुभानपुर विस्तार में स्थित आत्मा-ज्योति आश्रम में पू. स्वामिनी अमितानंदजी के गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन दि. ५ से ११ जनवरी तक किया गया। इस यज्ञ में पू. स्वामिनीजी ने सायं के सत्र में गीता के १० वें अध्याय विभूति योग पर तथा प्रात: के सत्र में कठोपनिषद के दूसरे अध्याय की तीसरी वल्ली पर प्रवचन किएं। पूर्व ६ सत्रों से चल रहे इस उपनिषद् का इसके साथ ही समापन हुआ।
P. Guruji Swami Atmananda Saraswatiji
यज्ञ का श्रीगणेश आत्म-ज्योति आश्रम के ट्रस्टी श्री नारायण भाई तथा सु श्री इंदिरा बेन शाह के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा व्यासपीठ की पूजा से हुआ। यज्ञ के एक दिन पूज्य स्वामिनीजी ने आत्म-ज्योति आश्रम द्वारा संचालित योगासन की कक्षा के ८० साधकों के लिए प्रवचन किया। इस सत्र में पूज्य स्वामिनीजी ने अष्टांग योग का परिचय प्रदान कर के उसके महत्वपूर्ण अंग 'ईश्वर प्रणिधान' सूत्र पर चर्चा की।
गीता के १० वे अध्याय में भगवान ने अपनी सुन्दर विभूतियों का वर्णन करते हुए व्यक्त को देखकर अव्यक्त की awareness, जगत को देखते हुए जगदीश्वर की महिमा की awarness जगाने का सन्देश दिया।
कठोपनिषद में यमराज ने नचिकेता को मृत्यु का रहस्य बताते हुए जन्म मृत्यु से परे स्थित परमात्मा को अपनी अंतरात्मा की तरह reveal किया।
Anand-Lahari is a Musical Fest Program organized by Indian Cultural Foundation to raise funds for its charitable work of propagating the message of Vedanta. This was the eighth edition of Anand-Lahari.
This year the program was organized on 29th Dec evening from 7.00 PM onwards at the Balgandharwa Rang Mandir at Bandra. It is a nice auditorium. The program began with the compering by Lata Subraidu. She welcomed everyone and then invited Manasi Kulkarni to chant invocation shlokas of Ganeshji. Later began the first show of the evening. It was a dance show called Bhater-Bhitar which was based on the teachings of Sant Kabir Dasji. This was presented by Samyukta Wagh and her group.
Then the Managing Trustee of the ICF, Sh Avinash Datta briefly told the audience about the activities of ICF and then requested the Founder-Chairman of ICF Swami Atmanandaji to bless the audience and participants. Poojya Guruji in his bried address introduced the Trustees of ICF and called them on the stage one by one. He also talked about the ageless message of Vedanta and showed how it percolates the fabric of this country.
In the second half was a musical program by Shruti Viswanath. This was also a lovely session.
The winter GITA GYANA YAGNA of Poojya Guruji Sri Swami Atmanandaji at Mumbai was organized at Vivekananda Auditorium, inside the Ramakrishna Campus in Khar (W), Mumbai, from 22nd Dec to 28th Dec.
The subject matter of the discourse series were Gita Chapter-2 and Mandukya Upanishad, Adwaita Prakarana (Chapter 3 of Karika).
P. Guruji Swami Atmananda Saraswatiji
The 2nd Chapter of Bhagwad Gita is called the Sankhya Yoga and has 72 shlokas. It starts with the despondent Arjuna who because of his indecisiveness and the consequent suffocating grief was completely broken and could not fight. The chapter ends with Arjuna regaining his composure and was asking question about who a perfect person is - the so called Sthita Pragnya. So the 2nd chapter reveals the complete journey from ignorance to knowledge. Bhagwan started after Arjuna specifically requested for knowledge. He said I am your shishya, please enlighten me. The Guru first told him that the truly wise never grief, and all grief is a product of our Moha - baseless conclusions. He starts by telling him that the real truth of me, you and everyone else is imperishable life principle, which transcends this body-mind complex. Those who know this never grieve. Even if we do not know that the self is avinashi yet we should never grieve because that which is born has to die and that which dies is born again. He also reveals another angle of baselessness of grief. The swadharma angle and the Art of Positive Karma - Karma Yoga. All this made Arjuna interested and the chapter ends with the description of the man of knowledge. It is an awesome chapter, and was dealt also in an awesome way.
Adwaita Prakarana deals with revealing how non-duality alone is real and how to wake to that state.
६ वर्ष से अनवरत रूप से चल रहे हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ का अंतिम प्रवचन दि. १५ दिसंबर २०१९ को वेदांत आश्रम, इंदौर में सायंकाल ६.३० बजे से प्रारम्भ हुआ। इस अनुष्ठान में माह के अंतिम रविवार को हनुमान चालीसा की एक चौपाई पर विस्तृत चिंतन होता था. कुल मिलकर चालीसा पर ७३ प्रवचन हुए। ये समस्त प्रवचन वेबसाइट पर सभी के लिए उपलब्ध हैं।
हर बार की तरह सर्व प्रथम दास बगीची रामायण मंडली द्वारा सुन्दर भजन प्रस्तुत करे गए, और फिर सबने हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। तदुपरांत पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंद जी द्वारा प्रवचन ३९वीं से प्रारम्भ होकर अंतिम दोहे तक चला। अंतमें हनुमानजी की आरती और प्रसाद वितरण हुआ। पूज्य गुरूजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में स्वल्पाहार का आयोजन किया गया था। सब भक्तों ने धन्यता से प्रसाद ग्रहण किया।
वेदांत मिशन, मुंबई द्वारा पूज्य गुरूजी स्वामी आत्मानंदजी के ७ दिवसीय गीता ज्ञान यज्ञ का आरम्भ २२ दिसम्बर को सायं 6.45 बजे से खार में स्थित रामकृष्ण मिशन के विवेकानंद ऑडिटोरियम में हो रहा है। इस यज्ञ में पूज्य गुरूजी सायं के सत्र में गीता के दूसरे अध्याय सांख्य योग पर तथा प्रात: के सत्र में माण्डूक्य उपनिषद् के दूसरे "अद्वैत" प्रकरण पर प्रवचन करेंगे।
गीता का यह अध्याय सम्पूर्ण गीता के साररूप है। तथा माण्डूक्य उपनिषद् के इस प्रकरण में जगत के यथार्थ को बहुत सुन्दर और सटीक रूप से बताया गया है। इन दोनों प्रवचनों की श्रृंखला का अवश्य श्रवण लाभ लें। इसमें प्रवेश निःशुल्क है।
P. Guruji Swami Atmananda Saraswatiji
आनंदलहरी
by : Indian Cultural Foundation
इंडियन कल्चरल फाउंडेशन के द्वारा प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी भारतीय संस्कृति और अध्यात्म ज्ञान के संगम रूप गीता ज्ञान यज्ञ के पश्चात् २९ दिसम्बर को "आनंदलहरी" सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसका प्रयोजन भारतीय संस्कृति और कला से लोगों को अवगत कराना है, साथ ही इसके माध्यम से एकत्रित फण्ड से अध्यात्म ज्ञान का प्रचार करना है। आपकी उपस्थिति इस महान, उमदा कार्य में एक पवित्र आहुति सिद्ध होगा। समस्त कलाप्रेमियों को तथा जो भी इस उम्दा कार्य हेतु अपना योगदान देना चाहता है, उन सब का इस कार्यक्रम में स्वागत हैं। इस हेतु शीघ्रातिशीघ्र पास को प्राप्त करने हेतु मिशन के कार्यालय में संपर्क करें।
इंदौर में स्थित गीता भवन में 62 वा गीता जयंती महोत्सव मनाया गया। इस समारोह में 7 नवंबर को पूज्य गुरुजी के प्रवचन का आयोजन हुआ।
पूज्य गुरुजी ने प्रवचन में यज्ञ दान तप की महिमा बताते हुए कहा कि हर मनुष्य के हृदय में भगवान विरजामन है तथा हर मनुष्य एक बांसुरी की तरह है। किन्तु मन की मलिनता की वजह से भगवान का मधुर संगीत इस बांसुरी से निसृत नही हो पाता है। इसलिए मन को निर्मल करने के लिए साधना करनी पड़ती है | इसके लिए भगवान स्वयं गीता के १८ वे अध्याय में बताते हैं कि यज्ञ दान तप: कर्म पावनानि मनीषिणाम्।अर्थात् यज्ञ दान और तप – ये तीनों मनुष्य को पवित्र करते हैं।
भगवान बताते हैं कि हर कार्य को यज्ञ बनाया जा सकता है। हर कार्य को यज्ञ बनाया जा सकता है, यहाँतक कि युध्द को भी यज्ञ बनाया जा सकता है। यज्ञभाव क्या होता है? जैसे हवन में अग्निरूपसे परमात्मा का आवाहन करके उनके प्रति वो अर्पित करते हैं, जो उन्हें प्रसन्न करता है। वैसे ही जहाँ हम भगवान की खुशी के लिए कार्य करते है, उन पर भरोसा रख कर वो कार्य करे, जो उन्हें प्रसन्न करें। हमारे हर कार्य स्वकेन्द्रित व अपनी कोई चिंता से नही किन्तु अन्य की खुशी के लिए हो तो वही यज्ञ बन जाता है। यज्ञभाव में पूर्ण रूपसे निष्काम होते है। मन में चिंता होना अपने अंदर अपेक्षा का सूचक है, यही मन की मलिनता है। तप स्वयं को भोगवृत्ति से अलग करते है। कोई न कोई व्रत लेना ही तपस्या होती है। यज्ञ दान और तप ही मन को निर्मल करता है, तब हृदय से मुरली का मधुर संगीत निकलता है। हम भी ऐसे ही एक बाँसुरी बन जाये, वही कल्याणकारी है।
६ दिसम्बर से इंदौर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित अग्रसेन धाम (फूटी कोठी) में एक सप्ताह का २२ वां गीता जयंती समारोह का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत पूज्य गुरूजी स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने, स्वामिनी अमितानंदजी तथा वहाँ के ट्रस्टीगणों ने दीप प्रज्ज्वलन से किया। उसके बाद पूज्य गुरजी का स्वागत तथा व्यास पीठ की पूजा की गई।
पूज्य गुरूजी के प्रवचन से इस समारोह की प्रवचन श्रृंखला का आरम्भ हुआ।
पूज्य गुरूजी ने बताया की महाभारत के युद्ध के पूर्व जहाँ अर्जुनके सामने जब दो विकल्प आएं कि एक और नारायणी सेना और दूसरी और स्वयं नारायण थे। अर्जुनने नि:शस्त्र होते हुए भी नारायण को ही चुना और उनके हाथ में अपने रथकी लगाम सौंप दी। यह अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय सिद्ध हुआ। अर्जुनरथ का यह चित्र हमारे ही जीवनका प्रतीक है। हमारा जीवन एक यात्रा है, जिसमें शरीर एक रथ है और हम उनके स्वामी। इस रथ के इन्द्रियाँ रूपी घोडें है तथा सारथि हमारी बुद्धि है। जिस रथ का सारथि विवेकी होता है, उसका रथ कभी भी नहीं भटकता है। यदि अपने हृदय में इस चित्र को बिठा ले, और अपने रथ की लगाम पूरी शरणागति के साथ भगवान के हाथों में सौंप दें, तो जीवन में अवश्य कल्याण होता है। इस चित्र को हृदय में बिठाने का तात्पर्य भगवान द्वारा दिए हुए विवेकसे युक्त होकर जीवन जीना। यही धर्म है, और जहां धर्म होता है वहां निश्चित रूपसे विजय होती है।
अंत में पूज्य गुरुजीने इस समारोह के समस्त आयोजकों को तथा समस्त भक्तों को आगे के सफल कार्यक्रम के लिए शुभाशीष प्रदान कियें।
Bhavnagar is a lovely costal town of Gujarat, and has a flourishing business of Diamond Polishing and Ship-Breaking. The people are devoted and nice. One of the awesome things about the city is that it has a 200 acres of dense forest in the center of the city. It has well-protected areas for wild animals and obviously there are lots of tree birds. People take pride in this awesome heritage and protect it fiercely from builder lobby. This park is under the control of Forest Department, who open it for just some limited time for morning walkers. It is a creation of the erstwhile rulers of the Bhavnagar state. We wish such a forest patch, a green-lung, is present in all cities. We also saw various water birds in & around the city.
Sharing few pics of this awesome – Victoria Nature Park. Thanks & Blessings to our host Sh Ketanbhai Dasadia who took us for a walk to this lovely Park on 25th Nov morning.
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