ASHRAM_PARIVAR YOJNA

ASHRAM PARIVAR YOJNA

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स्वामी आत्मानन्दजी सरस्वती
वेदान्त आश्रम परिवार
वेदान्त आश्रम के 25 वर्ष
वेदान्त आश्रम, इन्दौर कि स्थापना की रजत जयंती पर आप सभी भक्तों एवं शिष्यों को शुभाशीष देते हैं कि उनके ही सहयोग से देश-विदेश के अनेकों जिज्ञासु लोग अद्वैत वेदांत के ज्ञान से सतत लाभान्वित होते आए हैं। रजत जयंती के अवसर पर वेदान्त आश्रम द्वारा आश्रम परिवार की सदस्यता आरम्भ की जा रही हैं। आप हमारे आश्रम परिवार के सदस्य बनें और इस ज्ञान की ज्योत को निरंतर प्रज्ज्वलित रखने में अपना योगदान प्रदान करें।
आश्रम परिवार की सदस्यता के प्रकार
प्रधान संरक्षक
रु. 5000/- प्रति माह
संरक्षक
रु. 2000/- प्रति माह
सदस्य
रु. 1000/- प्रति माह
सहयोगी
रु. 500/- प्रति माह
भक्त
रु. 250/- प्रति माह
आश्रम परिवार के सदस्यों के लाभ :
1. आश्रम परिवार के सदस्यों का ही एक अलग WhatsApp (Broadcast) Group बनाया जाएगा; जिसमें दिन में मात्र दो post भेजी जाएगी, जो कि उपनिषद्, गीता, रामायण आदि पर आधारित सुविचार अथवा प्रेरक प्रसंग रहेंगे।

2. आश्रम परिवार के सदस्यों को आपस में चर्चा व परिचय हेतु एक अलग WhatsApp (Discussion) Group बनाया जाएगा।

3. आश्रम परिवार के सदस्यों का Facebook पर एक विशेष Private Group होगा। जिसमें Chanting, धर्म और संस्कृति ज्ञान, ध्यान आदि Share किये जाएंगे।

4. आश्रम परिवार के सदस्यों के साथ प्रति शनिवार सायं 8 बजे साप्ताहिक ऑनलाइन वीडियो सत्संग आयोजित किया जाएगा, जिसकी पूर्व सूचना प्रत्येक सदस्य को WhatsApp Group के माध्यम से भेजी जाएगी।
सत्संग का श्रीगणेश 30 जनवरी को सायं काल 8.00 बजे होगा।

5. आश्रम परिवार के सदस्यों के लिए 3 महिने में एक बार online वेदान्त श्रवण माला आयोजित करी जाएगी, जिसके द्वारा वे सब विधिवत शास्त्रों का अध्ययन करते रहेंगे ।

6. आश्रम परिवार के सदस्यों के जन्मदिन पर आश्रम में उनके नाम से मंगल कामना का संकल्प करते हुए पूजा की जाएगी।

7. आश्रम परिवार के सदस्यों को वर्ष में तीन दिन के लिए वेदान्त आश्रम में सत्संग हेतु निःशुल्क रहने की अनुमति (शिविर से अन्य समय में ) दी जाएगी। इसकी सूचना पहले से ही देकर अनुमति लेनी होगी।
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Swamini Amitananda Saraswati

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64 Sector A, Bhawanipur Colony,
Annapoorna Road, Indore-452009

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E/2948, Sudama Nagar,

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।। धर्मो रक्षति रक्षित: ।।

SAMPOORNA KATHOPANISHAD GYANA YAGNA

SEPT 2020

सम्पूर्ण कठोपनिषद
ज्ञान यज्ञ

(Online)

स्वामी आत्मानन्दजी सरस्वती

~ ४६ दिनों के इस आगामी ज्ञान यज्ञ का शुभारम्भ १ सितम्बर से हुआ। प्रतिदिन सायं काल ७ बजे यूट्यूब पर इसका प्रवचन प्रकाशित किया जा रहा है।
~ कठोपनिषद में दो अध्याय है, और प्रत्येक अध्याय में ३-३ वल्ली (खण्ड ) हैं। कुल मिलाकर इसमें (७१+४८) ११९ मंत्र हैं। कठोपनिषद, यजुर्वेद के अंतर्गत आता है।
~ कठोपनिषद में मृत्यु के देवता यमराज एवं नचिकेत नामक शिष्य का मृत्यु एवं मुक्ति से सम्बद्ध विषय पर संवाद है। इसमें यमराज जी खुद - मृत्यु और मृत्यु के उपरान्त का रहस्य बताते हैं।
~ अतः यह श्राद्ध एवं अधिक मॉस के समय निश्चित रूप से श्रवण और चिंतन योग्य है।
~ यह एक अत्यंत आदरणीय उपनिषद् है - जिसके ऊपर भगवान् श्री आदि शंकराचार्य जी महाराज ने भाष्य भी लिखी है।
सम्पूर्ण कठोपनिषद ऑनलाइन ज्ञान यज्ञ का पहला पड़ाव प्रथम वल्ली के समापन के साथ ९ सितम्बर को पूरा हुआ, इस प्रवचन से दूसरी वल्ली का शुभारम्भ हुआ। इस वल्ली के प्रारम्भ में नचिकेत के पूज्य गुरुदेव यमराज जी महाराज एक अत्यंत महत्त्व पूर्ण विषय की चर्चा से अपने प्रवचन का श्रीगणेश किया। वे हमको श्रेय और प्रेय के विवेक के बारे में बताते हैं जिसके द्वारा नचिकेत जैसी पात्रता प्राप्त हो जाती है। वे बताते हैं की जीवन की प्रत्येक परिस्थिति की प्राप्ति के समय हमारे अंदर दो प्रकार की प्रतिक्रिया संभव हो सकती हैं। एक, हम वो करें जो हमें अच्छा लगे, या वो करें जो कि उचित हो। जो व्यक्ति सदैव उचित के मार्ग और विकल्प का चयन करता है वो एक अच्छा, स्वस्थ, और बुद्धिमान इंसान बन जाता है, और जो मात्र अपनी अहम् की संतुष्टि अथवा अपने योग और क्षेम से प्रेरित होता है वो व्यक्ति अंततः मंद बुद्धि होता चला जाता है और अपने जीवन की समस्त संभावनाओं से च्युत अर्थात गिर जाता है। उसके जीवन की इस असफलता और पतन का कारण ईश्वर अथवा कोई किस्मत आदि नहीं होते है बल्कि वो स्वयं अपने प्रेय पथ के चयन के कारण जीवन की सम्भावनाएं से वंचित रह जाता है।
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Shiva-Mahimna Stotram

SHIVA_MAHIMNA STOTRAM (Online Satsang) :

JULy 2020

SHIV MAHIMNA STOTRAM

SWAMI ATMTNANDAJI SARASWATI

शिव महिम्न: स्तोत्र यज्ञ

गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन का पवित्र महीना प्रारम्भ हुआ।  पूज्य गुरूजी ने ६ जुलाई, सावन के प्रथम दिन से आरम्भ कर के जन्माष्टमी पर्व तक शिव-महिम्न ज्ञान यज्ञ करते हुए पूरे सावन माह को शिव की भक्तिमय बना दिया। प्रत्येक दिन का प्रवचन किसी न किसी भक्त के द्वारा प्रायोजित किया गया। प्रवचन के अंत में उनका व्यक्तिगत नाम लेकर पूज्य गुरूजी ने विशेष आशीर्वाद दिएं। शिव महिम्न स्तोत्रम, शिवजी की महिमा के गुण गान के लिए एक अत्यंत प्रसिद्द एवं आदरणीय प्राचीन रचना है। इसके रचयिता पुष्पदंत नामक एक गन्धर्व थे।

स्तोत्र विषय

इस स्तोत्र के रचयिता श्री पुष्पदन्तजी एक अत्यंत बुद्धिमान, विद्वान, भक्त-ह्रदय, एवं सुन्दर वाणी के धनी, और संगीत प्रेमी गन्धर्व थे। उन्हें राजा ने बंदी बना लिया था, लेकिन अपने बंदी-गृह में रहने के समय का अत्यंत सुन्दर प्रयोग किया और इस अमर स्तोत्र की रचना की। इसके पुण्य प्रताप से वे न केवल मुक्त हो गए, किन्तु सभी शिव भक्तों को एक अनुपम स्तुति की विधा बता गएं । इस स्तोत्र के ३४ श्लोका है, उसके आगे अन्य महात्माओं के द्वारा इसी स्तोत्र की महिमा और फलश्रुति बताई गई है, वे स्तोत्र के अंग रूप से जाने जाते हैं।
श्री पुष्पदंतजी पहले श्लोक में ही अपने अध्भुत ज्ञान का परिचय देते है। वे अपने ज्ञान के कारण निरभिमानता और विनम्रता से युक्त दिखते है। वे एक प्रश्न उठाते हैं की - क्या कोई भी जीव ईश्वर की महिमा गाने या लिखने में समर्थ है? इसका स्पष्ट उत्तर है - नहीं। कहाँ जीव और कहाँ ईश्वर? सबसे मूलभूत बात तो यह है की हम ईश्वर की महिमा को ठीक से जानते तक नहीं हैं? ईश्वर की महिमा अपरम्पार है और हमारी बुद्धि बहुत ही अल्प है, अतः हम उनकी महिमा जानने तक में असमर्थ हैं। अगर ऐसा है तो आप कैसे यह रचना लिखने जा रहे है?
पुष्पदंतजी कहते हैं कि यह सत्य है की ईश्वर की महिमा अपरम्पार और अनिर्वचनीय है, और एक अल्प ज्ञान और अल्प सामर्थ्य वाले जीव की स्तुति यथार्थ परक नहीं हो सकती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति विनम्रता और निरभिमानता से अपनी अल्प बुद्धि से भी मात्र अपने ज्ञान और अनुभव को लिखता है, तो वो स्तुति निर्दोष हो जाती है, क्योंकि वह व्यक्ति ईश्वर के समग्र गुणों के वर्णन का अभिमान नहीं रख रहा है, बल्कि मात्र अपनी अल्प ज्ञान और अनुभूति बता रहा है, तब वह स्तुति उचित और निर्दोष हो जाती है।
यहाँ शिवजी के वेदांत प्रतिपाद्य तत्त्व निर्गुण निराकार से आरम्भ करके लीला विग्रह तक के तत्त्व को बहुत सुन्दर और अनोखे ढंग से वर्णन करते हैं। यद्यपि प्रत्येक बिन्दु के साथ उनकी अपूर्व विद्वत्ता और अद्भुत समन्वय द्योतित होता है, किन्तु कहीं पर भी उनकी विनम्र भक्त की गरिमा के साथ समझोता नहीं होता है। निश्चित रूप से यह एक अलौकिक रचना है। प्रत्येक श्लोक के ऊपर व्याख्या के रूप में पूज्य गुरूजी के ४२ प्रवचनों की सम्पूर्ण श्रृंखला youTube चैनल पर उपलब्ध है।

Hanuman Chalisa

HANUMAN CHALISA (Online Satsang) :

MAY 2020

Corona के प्रकोप से जहां चारो और Lockdown के चलते सत्संग प्रेमी इसे भगवान की कृपा देकः रहे हैं और उसका पूरा लाभ उठा रहे हैं. ऐसे में पूज्य गुरुजी कि कृपा से आधुनिक संसाधन का प्रयोग हुए Youtube पर भज गोविन्दम् पर Online सत्संग क समापन हुआ |
उसके साथ ही दिनांक १ मई २०२० से हनुमान चालीसा के प्रवचन की नई श्रंखला का शुभारम्भ हुआ । प्रतिदिन हनुमान चालीसा की एक चोपाई पर पूज्य गुरुजी क प्रवचन होगा| इस प्रकार हनुमान चालीसा के प्रवचनों कि शृङ्खला करीब 50 दिन तक चलने की सम्भावना है | इस प्रवचन का देश विदेश में असंख्य भक्तगण श्रवणलाभ ले रहे हैं|
हनुमान चालीसा, प्रभु राम के परं भक्त पवनपुत्र हनुमानजी की स्तुति की अमर रचना है, जो की रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है। इसकी सुंदरता और महिमा का यह आलम है की यह दुनिया भर में नित्य गाई जाती है, और करोड़ों भक्तों को कंठस्थ भी है। हनुमानजी एक समग्र व्यक्तित्व के धनी हैं, अतः वे प्रत्येक मनुष्य के लिए सबसे सुन्दर श्रद्धा के पात्र हैं। हम सब के कोई न कोई श्रद्धेय होते हैं, और जैसे हमारे श्रद्धेय होते हैं हम खुद भी वैसे ही बनते हैं। अतः अगर हम अपने परिवार, समाज, देश और दुनिया का भला चाहते हैं तो उनके अंदर हनुमानजी के प्रति श्रद्धा और भक्ति उन्पन्न करनी चाहिए। इसके लिए हनुमान चालीसा के अर्थ के ज्ञान सहित नित्य पाठ करना सबसे सुन्दर और सरल तरीका होता है। इसीलिए परम पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंदजी ने यह उपक्रम प्रारम्भ किया है।

Bhaja Govindam

Bhaja Govindam (Online Satsang) :

Talks on Bhaja Govindam by Pujya Guruji Swami Atmanandaji Saraswati, Vedanta Ashram, Indore. We have started this series of pravachans during the Corona Lockdown in the country (Mar 2020) - wishing & praying that - may everyone use this time positively for some adhyatmic studies and sadhana. Bhaja Govindam is great to chant and sing, and also great to deeply reflect upon. May all be benefitted by this exercise. In this first talk, Poojya Guruji reveals the importance of aiming for a mind with love & joy, and the best way to acquire this is by devotion unto the feet of God. Therefore the name Bhaja Govindam.

LINKS OF PRAVACHANS

BHAJA GOVINDAM - 02

Talks on Bhaja Govindam by Pujya Guruji Swami Atmanandaji Saraswati, of Vedanta Ashram, Indore. In this second pravachan (Hindi), Poojya Guruji tells about the importance of Sanskrit language and also the importance of viveka of End & Means, the Sadhya and Sadhana. God is the goal, and devotion unto Him is the means. We started this series of pravachans during the Corona Lockdown in the country (Mar 2020) - wishing & praying that - may everyone use this time positively for some adhyatmic studies and sadhana. Bhaja Govindam is great to chant and sing, and also great to deeply reflect upon. May all be benefitted by this exercise.

BHAJA GOVINDAM - 03

भज गोविन्दं के तीसरे प्रवचन में पूज्य गुरूजी ने गोविन्द शब्द के विविध अर्थ बताये। १. जो गौ आदि पशुओं को अर्थात समस्त प्रकृति को जानने वाले हैं। २. जो पृथिवी को बनाने एवं धारण करने वाले हैं। ३. जो अपनी चेतन स्वरूपता से इन्द्रियों के स्वामी हैं। ४. जो समस्त वेदों के ज्ञाता हैं - अर्थात गुरु रूप से स्थित हमारे श्रोत्रिय एवं ब्रह्म-निष्ठ आचार्य हैं। ऐसे गोविन्द की जब महिमा का ज्ञान होता है तभी सिर आदर से झुक जाता है और हृदय से भजन हो पाता है।

Janmastami Vedanta Camp 2020

Vedanta Camp 2020

@ Vedanta Ashram, Indore

A six days residential Janmastami (Vedanta) Camp is being organized at the Vedanta Ashram, Sudama Nagar, Indore. The Camp will be of five days from 6th to 12th Aug 2020, and the conclusion will be with the celebration of Shri Krishna Janmastami on the 12th Aug.

VEDANTA CAMP

6th to 12th Aug 2020

On 12th Aug Camp Conclusion & Shri Krishna Janmastami Celebrations.

Camp Acharyas

The pravachans will be conducted by Poojya Guruji Swami Atmanandaji and Poojya Swamini Amitanandaji. The Meditation and Chanting sessions will be by Poojya Swamini Samatanandaji, while the Puja sessions will be guided by Poojya Swamini Poornanandaji.

Registration :

1. Please fill up the online Registration Form by following the link or check out the form below.

2. All the classes are free, but the campers have to take care of the various stay & food expenses etc. The fee for all these logistics, per person, has been fixed at Rs 5000/- for the six days stay. You can deposit this amount by going to our Donate Page and choosing any convenient mode of payment.

Note: Pl inform us by email about the mode & other details of the donation at vmission@gmail.com

Subject :

Pravachans on

Adwait Makarand / Gita Chapter – 14 (Guna Traya Vibhag Yoga)

Chanting on

Gita Chapter – 14

All the sessions will be in Hindi.

Who can apply :

Any healthy, sincere devotee who can live in the simple & austere atmosphere of an Ashram, without any complaints & problems, and wish to study Vedanta at the feet of traditional teachers can apply. The campers will have to stay inside the venue for all these six days. They will be given rooms with twin sharing. There are few rooms with attached bath/Lat, while others have common bath/lat facilities. No outing during the camp is allowed, and if at all there is some emergency they will take permission of the Acharyas to go out. No outside food is permitted or encouraged. The timings of food & tea is fixed, and the menu is simple & sattwic. Filtered water is available 24×7. Campers should be ready to serve in whatever way necessary to help keep the place clean & quiet. All campers will have to attend all the classes and should be punctual to be in the class few minutes before. Campers will just have to bring their minimum necessary clothes and toiletries. Bedding will be provided by the Ashram.

Venue :

Vedanta Ashram, E/2948, Sudama Nagar, Indore-452009 (MP)

Camp Routine :

Routine :

6.00 AM – Meditation

       6.45 – Pooja / Abhishek (by Sw. Poornanandaji)

7.00 – Tea

7.30 – Pravachan on the ‘Adwait Makarand’ (by P. Guruji)

9.30 – Pravachans on the Adwait Makarand(by P. Guruji)

11.30 – Lunch

3.00 PM – Tea

3.30 – Chanting on ‘Gita Chapter – 14‘ (by Sw. Samatanandaji)

5.00 – Pravachan on ‘Gita  Chapter – 14 (by Sw. Amitanandaji)

6.30 – Temple Aarti

7.30 – Dinner

8.30 – Bhajan / Que & Ans / Cultural events

10.00 – Lights off

Travel Plans :

The Campers will have to reach the venue latest by 5th Aug evening and can leave by 13th Aug as per their conveniences. Any change will have to be notified earlier.

Gita Gyana Yagna, Lucknow

गीता ज्ञान यज्ञ, लखनऊ

प्रवचन का विषय

  वेदान्त मिशन, लखनऊ द्वारा दि. २ से ९ मार्च तक पू. गुरूजी स्वामी आत्मानंदजी के गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन लखनऊ के लालबाग में स्थित हरि ॐ मंदिर में किया गया। इस यज्ञ में पूज्य गुरूजी ने सायं के सत्र में गीता के ११ वें अध्याय 'विश्वरूप दर्शन योग' पर तथा प्रात: के सत्र में मुण्डकोपनिषद के दूसरे मुण्डक के दूसरे खण्ड पर प्रवचन कियें ।
    पूज्य गुरूजी ने प्रतिदिन प्रात: ६. ३० बजे से चिनहट में स्थित गीत-माधव फार्म में योगाभ्यासी युवा वर्ग के लिए अष्टांग योग साधना पर विशेष प्रवचन कियें। इस कार्यक्रम में युवावर्ग ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

समापन कार्यक्रम

    हरि ॐ मंदिर के द्वारा वेदांत मिशन द्वारा आयोजित प्रत्येक ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन विशेष भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस यज्ञ के अंतिम दिन भी दि. ९ मार्च को प्रवचन के पश्चात् भंडारे का आयोजन किया गया।
    यज्ञ के सुबह के सत्र का समापन होली के दिन हुआ। होली के उपलक्ष में सभी भक्तों ने पूज्य गुरूजी के ऊपर पुष्पों की वर्षा करके पुष्प होली खेली तथा पूज्य गुरूजी से होली के आशीर्वाद प्राप्त कियें।

"निमित्तमात्रं भव"

    पूज्य गुरूजी ने गीता के १० वें अध्याय के अन्त में जो बताया कि यह समस्त जगत हमारे एक ही अंश में स्थित है। इसे सूत्र की तरह लेकर ११वें अध्याय की भूमिका बनाई। भगवन को किसी एक रूप में सिमित नहीं देखना चाहिए किन्तु सम्पूर्ण जगत ईश्वर रूप ही है।
    भगवान ने अर्जुन को देशकाल को संकुचित करके यह दिखाया कि समस्त जगत उनमें ही समाया हुआ है। अपने ही अंदर जगत के उत्पत्ति, स्थिति तथा प्रलय तीनों को दिखा दिया। जो ईश्वर का ईश्वरत्व इस प्रकार से देख पाता है, वह जगत में सुंदरता देख पाता है। समस्त जगत को ईश्वरत्व से युक्त देखना ही विश्वरूप दर्शन है। भगवन के द्वारा अपने विकराल, सौम्य अदि विविध रूपों को दिखाने पर अर्जुन और भी शरणागति को प्राप्त हुआ। शरणागत अर्जुन को भगवन ने एक विशेष उपदेश दिया कि 'निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन'। "हे अर्जुन! तुम हमारे निमित्त बनकर अपने धर्म का पालन करों।"

"पश्य मे योगमैश्वरम्"

Gita Jayanti @ Gita Bhawan

GITA JAYANTI @ GITA BHAWAN

यज्ञ दान तप: कर्म पावनानि मनीषिणाम्।।

इंदौर में स्थित गीता भवन में 62 वा गीता जयंती महोत्सव मनाया गया। इस समारोह में 7 नवंबर को पूज्य गुरुजी के प्रवचन का आयोजन हुआ।

पूज्य गुरुजी ने प्रवचन में यज्ञ दान तप की महिमा बताते हुए कहा कि हर मनुष्य के हृदय में भगवान विरजामन है तथा हर मनुष्य एक बांसुरी की तरह है। किन्तु मन की मलिनता की वजह से भगवान का मधुर संगीत इस बांसुरी से निसृत नही हो पाता है। इसलिए मन को निर्मल करने के लिए साधना करनी पड़ती है | इसके लिए भगवान स्वयं गीता के १८ वे अध्याय में बताते हैं कि यज्ञ दान तप: कर्म पावनानि मनीषिणाम्।अर्थात् यज्ञ दान और तप – ये तीनों मनुष्य को पवित्र करते हैं।  

भगवान बताते हैं कि हर कार्य को यज्ञ बनाया जा सकता है।  हर कार्य को यज्ञ बनाया जा सकता है, यहाँतक कि युध्द को भी यज्ञ बनाया जा सकता है। यज्ञभाव क्या होता है? जैसे हवन में अग्निरूपसे परमात्मा का आवाहन करके उनके प्रति वो अर्पित करते हैं, जो उन्हें प्रसन्न करता है। वैसे ही जहाँ हम भगवान की खुशी के लिए कार्य करते है, उन पर भरोसा रख कर वो कार्य करे, जो उन्हें प्रसन्न करें।
हमारे हर कार्य स्वकेन्द्रित व अपनी कोई चिंता से नही किन्तु अन्य की खुशी के लिए हो तो वही यज्ञ बन जाता है। यज्ञभाव में पूर्ण रूपसे निष्काम होते है। मन में चिंता होना अपने अंदर अपेक्षा का सूचक है, यही मन की मलिनता है।
तप स्वयं को भोगवृत्ति से अलग करते है। कोई न कोई व्रत लेना ही तपस्या होती है। यज्ञ दान और तप ही मन को निर्मल करता है, तब हृदय से मुरली का मधुर संगीत निकलता है। हम भी ऐसे ही एक बाँसुरी बन जाये, वही कल्याणकारी है।

Gita Jayanti – Futi Kothi

GITA JAYANTI @ AGRASEN DHAM

6th Nov 2019

।। यतो धर्म: ततो जय:।।

६ दिसम्बर से इंदौर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित अग्रसेन धाम (फूटी कोठी) में एक सप्ताह का २२ वां गीता जयंती समारोह का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत पूज्य गुरूजी स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने, स्वामिनी अमितानंदजी तथा वहाँ के ट्रस्टीगणों ने दीप प्रज्ज्वलन से किया। उसके बाद पूज्य गुरजी का स्वागत तथा व्यास पीठ की पूजा की गई। 

पूज्य गुरूजी के प्रवचन से इस समारोह की प्रवचन श्रृंखला का आरम्भ हुआ।

पूज्य गुरूजी ने बताया की महाभारत के युद्ध के पूर्व जहाँ अर्जुनके सामने जब दो विकल्प आएं  कि एक और नारायणी सेना और दूसरी और स्वयं नारायण थे।  अर्जुनने नि:शस्त्र  होते हुए भी नारायण को ही चुना और उनके हाथ में अपने रथकी लगाम सौंप दी।  यह अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय सिद्ध हुआ। अर्जुनरथ का यह चित्र हमारे ही जीवनका प्रतीक है। हमारा जीवन एक यात्रा है, जिसमें शरीर एक रथ है और हम उनके स्वामी।  इस रथ के इन्द्रियाँ  रूपी घोडें  है तथा सारथि हमारी बुद्धि है।  जिस रथ का सारथि विवेकी होता है, उसका रथ कभी भी नहीं भटकता है। यदि अपने हृदय में इस चित्र को बिठा ले, और अपने रथ की लगाम पूरी शरणागति के साथ भगवान के हाथों में सौंप दें, तो जीवन में अवश्य कल्याण होता है। इस चित्र को हृदय में बिठाने का तात्पर्य भगवान द्वारा दिए हुए विवेकसे युक्त होकर जीवन जीना।  यही धर्म है, और जहां  धर्म होता है वहां  निश्चित रूपसे विजय होती है। 

अंत में पूज्य गुरुजीने इस समारोह के समस्त आयोजकों को तथा समस्त भक्तों  को आगे के सफल कार्यक्रम के लिए शुभाशीष प्रदान कियें।

Visit to Victoria Nature Park @ Bhavnagar

VICTORIA NATURE PARK

BHAVNAGAR

ABOUT :

Bhavnagar is a lovely costal town of Gujarat, and has a flourishing business of Diamond Polishing and Ship-Breaking. The people are devoted and nice. One of the awesome things about the city is that it has a 200 acres of dense forest in the center of the city. It has well-protected areas for wild animals and obviously there are lots of tree birds. People take pride in this awesome heritage and protect it fiercely from builder lobby. This park is under the control of Forest Department, who open it for just some limited time for morning walkers. It is a creation of the erstwhile rulers of the Bhavnagar state. We wish such a forest patch, a green-lung, is present in all cities. We also saw various water birds in & around the city.

Sharing few pics of this awesome – Victoria Nature Park. Thanks & Blessings to our host Sh Ketanbhai Dasadia who took us for a walk to this lovely Park on 25th Nov morning.