SAMPOORNA KATHOPANISHAD GYANA YAGNA

SEPT 2020

सम्पूर्ण कठोपनिषद
ज्ञान यज्ञ

(Online)

स्वामी आत्मानन्दजी सरस्वती

~ ४६ दिनों के इस आगामी ज्ञान यज्ञ का शुभारम्भ १ सितम्बर से हुआ। प्रतिदिन सायं काल ७ बजे यूट्यूब पर इसका प्रवचन प्रकाशित किया जा रहा है।
~ कठोपनिषद में दो अध्याय है, और प्रत्येक अध्याय में ३-३ वल्ली (खण्ड ) हैं। कुल मिलाकर इसमें (७१+४८) ११९ मंत्र हैं। कठोपनिषद, यजुर्वेद के अंतर्गत आता है।
~ कठोपनिषद में मृत्यु के देवता यमराज एवं नचिकेत नामक शिष्य का मृत्यु एवं मुक्ति से सम्बद्ध विषय पर संवाद है। इसमें यमराज जी खुद - मृत्यु और मृत्यु के उपरान्त का रहस्य बताते हैं।
~ अतः यह श्राद्ध एवं अधिक मॉस के समय निश्चित रूप से श्रवण और चिंतन योग्य है।
~ यह एक अत्यंत आदरणीय उपनिषद् है - जिसके ऊपर भगवान् श्री आदि शंकराचार्य जी महाराज ने भाष्य भी लिखी है।
सम्पूर्ण कठोपनिषद ऑनलाइन ज्ञान यज्ञ का पहला पड़ाव प्रथम वल्ली के समापन के साथ ९ सितम्बर को पूरा हुआ, इस प्रवचन से दूसरी वल्ली का शुभारम्भ हुआ। इस वल्ली के प्रारम्भ में नचिकेत के पूज्य गुरुदेव यमराज जी महाराज एक अत्यंत महत्त्व पूर्ण विषय की चर्चा से अपने प्रवचन का श्रीगणेश किया। वे हमको श्रेय और प्रेय के विवेक के बारे में बताते हैं जिसके द्वारा नचिकेत जैसी पात्रता प्राप्त हो जाती है। वे बताते हैं की जीवन की प्रत्येक परिस्थिति की प्राप्ति के समय हमारे अंदर दो प्रकार की प्रतिक्रिया संभव हो सकती हैं। एक, हम वो करें जो हमें अच्छा लगे, या वो करें जो कि उचित हो। जो व्यक्ति सदैव उचित के मार्ग और विकल्प का चयन करता है वो एक अच्छा, स्वस्थ, और बुद्धिमान इंसान बन जाता है, और जो मात्र अपनी अहम् की संतुष्टि अथवा अपने योग और क्षेम से प्रेरित होता है वो व्यक्ति अंततः मंद बुद्धि होता चला जाता है और अपने जीवन की समस्त संभावनाओं से च्युत अर्थात गिर जाता है। उसके जीवन की इस असफलता और पतन का कारण ईश्वर अथवा कोई किस्मत आदि नहीं होते है बल्कि वो स्वयं अपने प्रेय पथ के चयन के कारण जीवन की सम्भावनाएं से वंचित रह जाता है।
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Shiva-Mahimna Stotram

SHIVA_MAHIMNA STOTRAM (Online Satsang) :

JULy 2020

SHIV MAHIMNA STOTRAM

SWAMI ATMTNANDAJI SARASWATI

शिव महिम्न: स्तोत्र यज्ञ

गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन का पवित्र महीना प्रारम्भ हुआ।  पूज्य गुरूजी ने ६ जुलाई, सावन के प्रथम दिन से आरम्भ कर के जन्माष्टमी पर्व तक शिव-महिम्न ज्ञान यज्ञ करते हुए पूरे सावन माह को शिव की भक्तिमय बना दिया। प्रत्येक दिन का प्रवचन किसी न किसी भक्त के द्वारा प्रायोजित किया गया। प्रवचन के अंत में उनका व्यक्तिगत नाम लेकर पूज्य गुरूजी ने विशेष आशीर्वाद दिएं। शिव महिम्न स्तोत्रम, शिवजी की महिमा के गुण गान के लिए एक अत्यंत प्रसिद्द एवं आदरणीय प्राचीन रचना है। इसके रचयिता पुष्पदंत नामक एक गन्धर्व थे।

स्तोत्र विषय

इस स्तोत्र के रचयिता श्री पुष्पदन्तजी एक अत्यंत बुद्धिमान, विद्वान, भक्त-ह्रदय, एवं सुन्दर वाणी के धनी, और संगीत प्रेमी गन्धर्व थे। उन्हें राजा ने बंदी बना लिया था, लेकिन अपने बंदी-गृह में रहने के समय का अत्यंत सुन्दर प्रयोग किया और इस अमर स्तोत्र की रचना की। इसके पुण्य प्रताप से वे न केवल मुक्त हो गए, किन्तु सभी शिव भक्तों को एक अनुपम स्तुति की विधा बता गएं । इस स्तोत्र के ३४ श्लोका है, उसके आगे अन्य महात्माओं के द्वारा इसी स्तोत्र की महिमा और फलश्रुति बताई गई है, वे स्तोत्र के अंग रूप से जाने जाते हैं।
श्री पुष्पदंतजी पहले श्लोक में ही अपने अध्भुत ज्ञान का परिचय देते है। वे अपने ज्ञान के कारण निरभिमानता और विनम्रता से युक्त दिखते है। वे एक प्रश्न उठाते हैं की - क्या कोई भी जीव ईश्वर की महिमा गाने या लिखने में समर्थ है? इसका स्पष्ट उत्तर है - नहीं। कहाँ जीव और कहाँ ईश्वर? सबसे मूलभूत बात तो यह है की हम ईश्वर की महिमा को ठीक से जानते तक नहीं हैं? ईश्वर की महिमा अपरम्पार है और हमारी बुद्धि बहुत ही अल्प है, अतः हम उनकी महिमा जानने तक में असमर्थ हैं। अगर ऐसा है तो आप कैसे यह रचना लिखने जा रहे है?
पुष्पदंतजी कहते हैं कि यह सत्य है की ईश्वर की महिमा अपरम्पार और अनिर्वचनीय है, और एक अल्प ज्ञान और अल्प सामर्थ्य वाले जीव की स्तुति यथार्थ परक नहीं हो सकती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति विनम्रता और निरभिमानता से अपनी अल्प बुद्धि से भी मात्र अपने ज्ञान और अनुभव को लिखता है, तो वो स्तुति निर्दोष हो जाती है, क्योंकि वह व्यक्ति ईश्वर के समग्र गुणों के वर्णन का अभिमान नहीं रख रहा है, बल्कि मात्र अपनी अल्प ज्ञान और अनुभूति बता रहा है, तब वह स्तुति उचित और निर्दोष हो जाती है।
यहाँ शिवजी के वेदांत प्रतिपाद्य तत्त्व निर्गुण निराकार से आरम्भ करके लीला विग्रह तक के तत्त्व को बहुत सुन्दर और अनोखे ढंग से वर्णन करते हैं। यद्यपि प्रत्येक बिन्दु के साथ उनकी अपूर्व विद्वत्ता और अद्भुत समन्वय द्योतित होता है, किन्तु कहीं पर भी उनकी विनम्र भक्त की गरिमा के साथ समझोता नहीं होता है। निश्चित रूप से यह एक अलौकिक रचना है। प्रत्येक श्लोक के ऊपर व्याख्या के रूप में पूज्य गुरूजी के ४२ प्रवचनों की सम्पूर्ण श्रृंखला youTube चैनल पर उपलब्ध है।

Hanuman Chalisa

HANUMAN CHALISA (Online Satsang) :

MAY 2020

Corona के प्रकोप से जहां चारो और Lockdown के चलते सत्संग प्रेमी इसे भगवान की कृपा देकः रहे हैं और उसका पूरा लाभ उठा रहे हैं. ऐसे में पूज्य गुरुजी कि कृपा से आधुनिक संसाधन का प्रयोग हुए Youtube पर भज गोविन्दम् पर Online सत्संग क समापन हुआ |
उसके साथ ही दिनांक १ मई २०२० से हनुमान चालीसा के प्रवचन की नई श्रंखला का शुभारम्भ हुआ । प्रतिदिन हनुमान चालीसा की एक चोपाई पर पूज्य गुरुजी क प्रवचन होगा| इस प्रकार हनुमान चालीसा के प्रवचनों कि शृङ्खला करीब 50 दिन तक चलने की सम्भावना है | इस प्रवचन का देश विदेश में असंख्य भक्तगण श्रवणलाभ ले रहे हैं|
हनुमान चालीसा, प्रभु राम के परं भक्त पवनपुत्र हनुमानजी की स्तुति की अमर रचना है, जो की रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है। इसकी सुंदरता और महिमा का यह आलम है की यह दुनिया भर में नित्य गाई जाती है, और करोड़ों भक्तों को कंठस्थ भी है। हनुमानजी एक समग्र व्यक्तित्व के धनी हैं, अतः वे प्रत्येक मनुष्य के लिए सबसे सुन्दर श्रद्धा के पात्र हैं। हम सब के कोई न कोई श्रद्धेय होते हैं, और जैसे हमारे श्रद्धेय होते हैं हम खुद भी वैसे ही बनते हैं। अतः अगर हम अपने परिवार, समाज, देश और दुनिया का भला चाहते हैं तो उनके अंदर हनुमानजी के प्रति श्रद्धा और भक्ति उन्पन्न करनी चाहिए। इसके लिए हनुमान चालीसा के अर्थ के ज्ञान सहित नित्य पाठ करना सबसे सुन्दर और सरल तरीका होता है। इसीलिए परम पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंदजी ने यह उपक्रम प्रारम्भ किया है।

Bhaja Govindam

Bhaja Govindam (Online Satsang) :

Talks on Bhaja Govindam by Pujya Guruji Swami Atmanandaji Saraswati, Vedanta Ashram, Indore. We have started this series of pravachans during the Corona Lockdown in the country (Mar 2020) - wishing & praying that - may everyone use this time positively for some adhyatmic studies and sadhana. Bhaja Govindam is great to chant and sing, and also great to deeply reflect upon. May all be benefitted by this exercise. In this first talk, Poojya Guruji reveals the importance of aiming for a mind with love & joy, and the best way to acquire this is by devotion unto the feet of God. Therefore the name Bhaja Govindam.

LINKS OF PRAVACHANS

BHAJA GOVINDAM - 02

Talks on Bhaja Govindam by Pujya Guruji Swami Atmanandaji Saraswati, of Vedanta Ashram, Indore. In this second pravachan (Hindi), Poojya Guruji tells about the importance of Sanskrit language and also the importance of viveka of End & Means, the Sadhya and Sadhana. God is the goal, and devotion unto Him is the means. We started this series of pravachans during the Corona Lockdown in the country (Mar 2020) - wishing & praying that - may everyone use this time positively for some adhyatmic studies and sadhana. Bhaja Govindam is great to chant and sing, and also great to deeply reflect upon. May all be benefitted by this exercise.

BHAJA GOVINDAM - 03

भज गोविन्दं के तीसरे प्रवचन में पूज्य गुरूजी ने गोविन्द शब्द के विविध अर्थ बताये। १. जो गौ आदि पशुओं को अर्थात समस्त प्रकृति को जानने वाले हैं। २. जो पृथिवी को बनाने एवं धारण करने वाले हैं। ३. जो अपनी चेतन स्वरूपता से इन्द्रियों के स्वामी हैं। ४. जो समस्त वेदों के ज्ञाता हैं - अर्थात गुरु रूप से स्थित हमारे श्रोत्रिय एवं ब्रह्म-निष्ठ आचार्य हैं। ऐसे गोविन्द की जब महिमा का ज्ञान होता है तभी सिर आदर से झुक जाता है और हृदय से भजन हो पाता है।

Sundarkand Monthly Satsang

23 Feb 2020

सुन्दरे सुन्दरी सीता, सुन्दरे सुन्दरी कथा।
सुन्दरे सुन्दरी वार्ता, सुन्दरे किं न सुन्दरम् ।।

सुन्दरकाण्ड मासिक सत्संग

वेदांत आश्रम में दिनांक २३ फरवरी २०२० से पूज्य गुरूजी स्वामी आत्मानंदजी द्वारा सुंदरकांड के मासिक प्रवचनों का शुभारम्भ हुए। पहले प्रवचन में सुंदरकांड के नाम की महिमा और विषय की चर्चा हुई। उसके बाद पहले श्लोक का अर्थ का चिंतन हुआ। अंत में सबने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया।

सुन्दरे किं न सुन्दरम्

पूज्य गुरूजी ने सुन्दरकाण्ड नाम की महिमा बताई। अन्य समस्त अध्यायों की तरह इस अध्याय का नाम न तो किसी अवस्था का सूचक है और ना ही किसी स्थान को द्योतित करता है। इस नाम महिमा को महर्षि वाल्मीकिजी से आरम्भ करे अन्य समस्त रामायण ग्रन्थ के रचयिताओं ने स्वीकार किया हैं। इसी अध्याय में हनुमानजी का सुन्दर चरित्र सामने आता है। हनुमानजी को अपने दिव्य सामर्थ्यों का ज्ञान इसी काण्ड के आरम्भ में महा ज्ञानी जाम्बवंतजी के द्वारा कराया जाता है। हनुमानजी की समुद्र के इस पार सुन्दर भूधर से तलाश की यात्रा आरम्भ होती है, जिसका पर्यवसान सुन्दरतम शांति स्वरूपिणी सीताजी के दर्शन में होता है। हनुमानजी की यह यात्रा एक अध्यात्म यात्रा के सामान है, इसमें उन्हें वे सभी विघ्न प्राप्त होते है, जो एक अध्यात्म यात्रा के दौरान संभावना होती है। इसलिए अध्यात्म साधक के लिए विदेश प्रेरणादायी सिद्ध होती है।
इसके अलावा भक्त विभीषणजी की शरणागति का प्रसंग प्राप्त होता है, तथा प्रभु के विशेष गुण शरणागत वत्सलता का भी द्योतन होता है। इन अनेकों कारणों से ये कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सुंदरे किं न सुन्दरं।

प्रवचन का आरम्भ

प्रवचन का आरम्भ में दास बगीची भजन मंडली के सुन्दर भजनों की प्रस्तुति, हनुमान चालीसा का पाठ तथा राम नाम संकीर्तन किया गया। उसके उपरांत पूज्य गुरूजी का प्रवचन तथा अंत में हनुमानजी की आरती और प्रसाद वितरण हुआ। यही क्रम प्रति माह के अंतिम रविवार के सत्संग में अनुसरण किया जाएगा। इसके साथ ही पूज्य गुरूजी ने आगे के मासिक सत्संग की तारीख २९ मार्च की घोषणा की। सुन्दरकाण्ड के पाठ की महिमा तो अत्यंत प्रचलित है, किन्तु उसके गहन अर्थ को जानने पर उसकी और भी महिमा समज में अति है।

सुन्दरे सुन्दरी कथा

Vedanta Camp, Indore

२२ फरवरी २०२०

वेदांत शिविर

वेदांत आश्रम, इंदौर में दि. १६ से २१ फरवरी तक एक वेदांत शिविर का आयोजन किया गया। इस 'शिविर हेतु लख़नऊ, मुंबई तथा अन्य शहरों से शिविरार्थियों ने भाग लिया। सभी शिविरार्थियों का १५ फरवरी की शाम तक आगमन हुआ। शिविर कै विषय ईशावास्य उपनिषद्, गीता कै ७ वे अध्याय पर प्रवचन तथा शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ रहा। इसके आलावा प्रतिदिन प्रातः ध्यान तथा श्री गंगेश्वर महादेव का अभिषेक कराया जाता था।

शिविर का शुभारम्भ १६ फरवरी के प्रातः ६ बजे से ध्यान की कक्षा से हुआ। दिन का आरम्भ स्वामिनी समतानंदजी द्वारा ध्यान की कक्षा से होता था। इसमें पू. स्वामिनीजी ने ईशावास्य  उपनिषद् पर आधारित ध्यान करना सिखाया। ध्यान विषयक मार्गदर्शन प्राप्त कर सभी आत्मविश्वास और धन्यता से युक्त हुए। इसके आलावा पू. स्वामिनीजी ने शिवपाराध क्षमापन स्तोत्र की chanting करनी सिखाई। इस सत्र में सब शिविरार्थी बालवत होकर पाठ करता था। इससे संस्कृत श्लोकों का स्पष्टता से उच्चारण करना  सिखाया गया। इस वजह से संस्कृत पढ़ने और समझने का भय समाप्त होता हुआ दिखा। उसके पश्चात् स्वामिनी पूर्णानन्दजी द्वारा श्री गंगेश्वर महादेव का अभिषेक कराया जाता था। पू. स्वामिनीजी ने पूजा का महत्व, विधि तथा उसके पीछे भावना का समावेश को सुंदररूप से बताया।

तत्पश्चात पूज्य गुरूजी द्वारा ईशावास्य उपनिषद् पर दो कक्षाएँ  होती थी। ईशावास्योपनिषद शुक्ल यजुर्वेदीय है। इस उपनिषद् में एक holistic approach दिखाई देता है। उपनिषद् का प्रारम्भ सब कुछ ईश्वर के द्वारा ही व्याप्त है - इस सुंदर वेदान्तिक तथ्य के प्रतिपादन से होता है।  मुक्ति तो ज्ञान से ही होती है, किन्तु ज्ञान का प्रसाद तो तब ही प्राप्त हो सकता है जब मन की पात्रता हो। उसके लिए ज्ञान में प्रवेश के पूर्व कर्म  उपासना का समुच्चय परम अवश्य है। अत: कर्म और उपासना के रहस्यों का प्रतिपादन किया गया है। और अंततः मृत्यु के समय की बहुत ही दिव्य हृदयस्पर्शी प्रार्थना और दृष्टि प्रदान की गई। इसे श्रवण करके प्रत्येक शिविरार्थी लाभान्वित हुआ।

सायं के सत्र में पू. स्वामिनी अमितानंदजी के द्वारा गीता के सातवें अध्याय ज्ञान विज्ञान योग पर प्रवचन किये गए। ज्ञान अर्थात बौद्धिक समज तथा विज्ञान अर्थात इस समज को हृदयान्वित करते हुए इस ज्ञान को अपना बनाना। ज्ञान से विज्ञान की यात्रा में व्यवधान अपने बारे में, दृश्य जगत के बारे में मोह का होना है।
अतः उसके रहस्य का ज्ञान तथा स्वरुप को समजने के लिए भगवान ने अपनी परा और अपरा प्रकृति का परिचय दिया कि इन्हीं  प्रकृति के माध्यम से इस जड़ - चेतन जगत रचना करते हैं। हम ही उन सब को अनेकों मणियों में के सूत्र की तरह व्याप्त करते हैं।  इस विज्ञानं की सिद्धि के लिए मोह के स्वरुप को बता कर उससे मुक्ति का तरीका भगवान ने बताया।

सायं श्री गंगेश्वर महादेव की आरती के पश्चात् रात्रि भोजन होता था। दिन का समापन सुन्दर भजन प्रस्तुति, स्तोत्रपाठ तथा प्रश्नोत्तर के कार्यक्रम से होता था।  प्रत्येक शिविरार्थी सभी कार्यक्रमों में बहुत उत्साह के साथ सम्मिलित होता था। २१ फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन प्रातः समापन का कार्यक्रम रहा।
इसमें प्रत्येक शिविरार्थी ने धन्यता के साथ अपने शिविर के अनुभवों को प्रस्तुत कियें। अंत में व्यास पीठ की पूजा के साथ गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। 

महाशिवरात्रि पर्व

महाशिवरात्रि का दिन स्वामिनी अमितानंदजी और स्वामिनी पूर्णानन्दजी के संन्यासदीक्षा का दिन होता है। अतः प्रथम पूजा तथा अभिषेक उनके द्वारा किया गया। शिविर समापन तथा गुरुदक्षिणा के कार्यक्रम के उपरांत अन्य पहरों की श्री गंगेश्वर महादेव की पूजा तथा रुद्राभिषेक शिविरार्थियों द्वारा सामूहिक रूप से की गई। गंगेश्वर महादेव की सुन्दर झाँकी सजाई गई। महादेवजी के दर्शन हेतु देर रात तक भक्तों का ताँता बना रहा। कई साधकों ने पूरी रात जगकर जप और ध्यान की साधना की। धन्यता और भक्तिसभर वातावरण में २२ फरवरी को शिविरार्थियों ने प्रस्थान किया।

Sundarkand Path, Indore

19 Jan 2020 :

After the completion of Monthly Hanuman Chalisa Satsangs, now in its place monthly Satsang on Sunderkand is being started - on the last Sunday of every month. Today on 19th Jan, the beginning was made with the Akhand Path of Sunderkand - by the Daas Bagichi Ramayan Mandal. The first Sunderkand Satsang is on 23rd Feb.

ॐ तत्सत्

Gita Gyan Yagna, Lucknow

6th to 13th Jan

वेदांत मिशन, लखनऊ के द्वारा 6 से 13 जनवर तक लखनऊ के 'हरि ॐ मंदिर' में पूज्य स्वामिनी समतानंदजी का गीता ज्ञान यज्ञ आयोजित हुआ। इस ज्ञान यज्ञ में पूज्य स्वामिनीजी ने सायंकालीन सत्र में गीताजी के 5वें अध्याय पर और प्रातःकालीन सत्र में दृग दृश्य विवेक पर प्रवचन किये।

P. Guruji Swami Atmananda Saraswatiji

'कर्म संन्यास योग' नामक गीताजी के पाँचवे अध्याय में भगवान श्री कृष्ण इस रहस्य को उद्घाटित करते हैं कि यद्यपि संन्यस्त होकर मुक्त हो जाना मनुष्य का परम लक्ष्य है लेकिन कर्म योग को जीवन में पूरी समग्रता से धारण करने से ही संन्यास का मार्ग प्रशस्त होता है। 'दृग दृश्य विवेक' वेदान्त के इस सुंदर प्रकरण ग्रंथ में दृष्टा और दृश्य का विवेक कराके अपने ब्रह्म स्वरूप में जगने तक की पूरी यात्रा और प्रक्रिया बताते हैं।

अत्यंत तीव्र शीत लहर के बावजूद अनेकों भक्तों ने अपने घर के cozy वातावरण से बाहर निकलकर इन दोनों विषयों का लाभ लिया। ज्ञान यज्ञ का समापन हरि ॐ मंदिर द्वारा आयोजित भंडारे से हुआ।

Gita Gyana Yagna, Mumbai

22nd to 28th Dec

The winter GITA GYANA YAGNA of Poojya Guruji Sri Swami Atmanandaji at Mumbai was organized at Vivekananda Auditorium, inside the Ramakrishna Campus in Khar (W), Mumbai, from 22nd Dec to 28th Dec.
The subject matter of the discourse series were Gita Chapter-2 and Mandukya Upanishad, Adwaita Prakarana (Chapter 3 of Karika).

P. Guruji Swami Atmananda Saraswatiji

The 2nd Chapter of Bhagwad Gita is called the Sankhya Yoga and has 72 shlokas. It starts with the despondent Arjuna who because of his indecisiveness and the consequent suffocating grief was completely broken and could not fight. The chapter ends with Arjuna regaining his composure and was asking question about who a perfect person is - the so called Sthita Pragnya. So the 2nd chapter reveals the complete journey from ignorance to knowledge. Bhagwan started after Arjuna specifically requested for knowledge. He said I am your shishya, please enlighten me. The Guru first told him that the truly wise never grief, and all grief is a product of our Moha - baseless conclusions. He starts by telling him that the real truth of me, you and everyone else is imperishable life principle, which transcends this body-mind complex. Those who know this never grieve. Even if we do not know that the self is avinashi yet we should never grieve because that which is born has to die and that which dies is born again. He also reveals another angle of baselessness of grief. The swadharma angle and the Art of Positive Karma - Karma Yoga. All this made Arjuna interested and the chapter ends with the description of the man of knowledge. It is an awesome chapter, and was dealt also in an awesome way. 

Adwaita Prakarana deals with revealing how non-duality alone is real and how to wake to that state.

Hanuman Chalisa Samapan & P. Guruji’s Birthday

१५ दिसंबर 2019 :

६ वर्ष से अनवरत रूप से चल रहे हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ का अंतिम प्रवचन दि. १५ दिसंबर २०१९ को वेदांत आश्रम, इंदौर में सायंकाल ६.३० बजे से प्रारम्भ हुआ। इस अनुष्ठान में माह के अंतिम रविवार को हनुमान चालीसा की एक चौपाई पर विस्तृत चिंतन होता था. कुल मिलकर चालीसा पर ७३ प्रवचन हुए। ये समस्त प्रवचन वेबसाइट पर सभी के लिए उपलब्ध हैं।

हर बार की तरह सर्व प्रथम दास बगीची रामायण मंडली द्वारा सुन्दर भजन प्रस्तुत करे गए, और फिर सबने हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। तदुपरांत पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंद जी द्वारा प्रवचन ३९वीं से प्रारम्भ होकर अंतिम दोहे तक चला। अंतमें हनुमानजी की आरती और प्रसाद वितरण हुआ। पूज्य गुरूजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में स्वल्पाहार का आयोजन किया गया था। सब भक्तों ने धन्यता से प्रसाद ग्रहण किया।

ॐ तत्सत्