Bhaja Govindam

Bhaja Govindam (Online Satsang) :

Talks on Bhaja Govindam by Pujya Guruji Swami Atmanandaji Saraswati, Vedanta Ashram, Indore. We have started this series of pravachans during the Corona Lockdown in the country (Mar 2020) - wishing & praying that - may everyone use this time positively for some adhyatmic studies and sadhana. Bhaja Govindam is great to chant and sing, and also great to deeply reflect upon. May all be benefitted by this exercise. In this first talk, Poojya Guruji reveals the importance of aiming for a mind with love & joy, and the best way to acquire this is by devotion unto the feet of God. Therefore the name Bhaja Govindam.

LINKS OF PRAVACHANS

BHAJA GOVINDAM - 02

Talks on Bhaja Govindam by Pujya Guruji Swami Atmanandaji Saraswati, of Vedanta Ashram, Indore. In this second pravachan (Hindi), Poojya Guruji tells about the importance of Sanskrit language and also the importance of viveka of End & Means, the Sadhya and Sadhana. God is the goal, and devotion unto Him is the means. We started this series of pravachans during the Corona Lockdown in the country (Mar 2020) - wishing & praying that - may everyone use this time positively for some adhyatmic studies and sadhana. Bhaja Govindam is great to chant and sing, and also great to deeply reflect upon. May all be benefitted by this exercise.

BHAJA GOVINDAM - 03

भज गोविन्दं के तीसरे प्रवचन में पूज्य गुरूजी ने गोविन्द शब्द के विविध अर्थ बताये। १. जो गौ आदि पशुओं को अर्थात समस्त प्रकृति को जानने वाले हैं। २. जो पृथिवी को बनाने एवं धारण करने वाले हैं। ३. जो अपनी चेतन स्वरूपता से इन्द्रियों के स्वामी हैं। ४. जो समस्त वेदों के ज्ञाता हैं - अर्थात गुरु रूप से स्थित हमारे श्रोत्रिय एवं ब्रह्म-निष्ठ आचार्य हैं। ऐसे गोविन्द की जब महिमा का ज्ञान होता है तभी सिर आदर से झुक जाता है और हृदय से भजन हो पाता है।

Sundarkand Monthly Satsang

23 Feb 2020

सुन्दरे सुन्दरी सीता, सुन्दरे सुन्दरी कथा।
सुन्दरे सुन्दरी वार्ता, सुन्दरे किं न सुन्दरम् ।।

सुन्दरकाण्ड मासिक सत्संग

वेदांत आश्रम में दिनांक २३ फरवरी २०२० से पूज्य गुरूजी स्वामी आत्मानंदजी द्वारा सुंदरकांड के मासिक प्रवचनों का शुभारम्भ हुए। पहले प्रवचन में सुंदरकांड के नाम की महिमा और विषय की चर्चा हुई। उसके बाद पहले श्लोक का अर्थ का चिंतन हुआ। अंत में सबने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया।

सुन्दरे किं न सुन्दरम्

पूज्य गुरूजी ने सुन्दरकाण्ड नाम की महिमा बताई। अन्य समस्त अध्यायों की तरह इस अध्याय का नाम न तो किसी अवस्था का सूचक है और ना ही किसी स्थान को द्योतित करता है। इस नाम महिमा को महर्षि वाल्मीकिजी से आरम्भ करे अन्य समस्त रामायण ग्रन्थ के रचयिताओं ने स्वीकार किया हैं। इसी अध्याय में हनुमानजी का सुन्दर चरित्र सामने आता है। हनुमानजी को अपने दिव्य सामर्थ्यों का ज्ञान इसी काण्ड के आरम्भ में महा ज्ञानी जाम्बवंतजी के द्वारा कराया जाता है। हनुमानजी की समुद्र के इस पार सुन्दर भूधर से तलाश की यात्रा आरम्भ होती है, जिसका पर्यवसान सुन्दरतम शांति स्वरूपिणी सीताजी के दर्शन में होता है। हनुमानजी की यह यात्रा एक अध्यात्म यात्रा के सामान है, इसमें उन्हें वे सभी विघ्न प्राप्त होते है, जो एक अध्यात्म यात्रा के दौरान संभावना होती है। इसलिए अध्यात्म साधक के लिए विदेश प्रेरणादायी सिद्ध होती है।
इसके अलावा भक्त विभीषणजी की शरणागति का प्रसंग प्राप्त होता है, तथा प्रभु के विशेष गुण शरणागत वत्सलता का भी द्योतन होता है। इन अनेकों कारणों से ये कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सुंदरे किं न सुन्दरं।

प्रवचन का आरम्भ

प्रवचन का आरम्भ में दास बगीची भजन मंडली के सुन्दर भजनों की प्रस्तुति, हनुमान चालीसा का पाठ तथा राम नाम संकीर्तन किया गया। उसके उपरांत पूज्य गुरूजी का प्रवचन तथा अंत में हनुमानजी की आरती और प्रसाद वितरण हुआ। यही क्रम प्रति माह के अंतिम रविवार के सत्संग में अनुसरण किया जाएगा। इसके साथ ही पूज्य गुरूजी ने आगे के मासिक सत्संग की तारीख २९ मार्च की घोषणा की। सुन्दरकाण्ड के पाठ की महिमा तो अत्यंत प्रचलित है, किन्तु उसके गहन अर्थ को जानने पर उसकी और भी महिमा समज में अति है।

सुन्दरे सुन्दरी कथा

Vedanta Camp, Indore

२२ फरवरी २०२०

वेदांत शिविर

वेदांत आश्रम, इंदौर में दि. १६ से २१ फरवरी तक एक वेदांत शिविर का आयोजन किया गया। इस 'शिविर हेतु लख़नऊ, मुंबई तथा अन्य शहरों से शिविरार्थियों ने भाग लिया। सभी शिविरार्थियों का १५ फरवरी की शाम तक आगमन हुआ। शिविर कै विषय ईशावास्य उपनिषद्, गीता कै ७ वे अध्याय पर प्रवचन तथा शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ रहा। इसके आलावा प्रतिदिन प्रातः ध्यान तथा श्री गंगेश्वर महादेव का अभिषेक कराया जाता था।

शिविर का शुभारम्भ १६ फरवरी के प्रातः ६ बजे से ध्यान की कक्षा से हुआ। दिन का आरम्भ स्वामिनी समतानंदजी द्वारा ध्यान की कक्षा से होता था। इसमें पू. स्वामिनीजी ने ईशावास्य  उपनिषद् पर आधारित ध्यान करना सिखाया। ध्यान विषयक मार्गदर्शन प्राप्त कर सभी आत्मविश्वास और धन्यता से युक्त हुए। इसके आलावा पू. स्वामिनीजी ने शिवपाराध क्षमापन स्तोत्र की chanting करनी सिखाई। इस सत्र में सब शिविरार्थी बालवत होकर पाठ करता था। इससे संस्कृत श्लोकों का स्पष्टता से उच्चारण करना  सिखाया गया। इस वजह से संस्कृत पढ़ने और समझने का भय समाप्त होता हुआ दिखा। उसके पश्चात् स्वामिनी पूर्णानन्दजी द्वारा श्री गंगेश्वर महादेव का अभिषेक कराया जाता था। पू. स्वामिनीजी ने पूजा का महत्व, विधि तथा उसके पीछे भावना का समावेश को सुंदररूप से बताया।

तत्पश्चात पूज्य गुरूजी द्वारा ईशावास्य उपनिषद् पर दो कक्षाएँ  होती थी। ईशावास्योपनिषद शुक्ल यजुर्वेदीय है। इस उपनिषद् में एक holistic approach दिखाई देता है। उपनिषद् का प्रारम्भ सब कुछ ईश्वर के द्वारा ही व्याप्त है - इस सुंदर वेदान्तिक तथ्य के प्रतिपादन से होता है।  मुक्ति तो ज्ञान से ही होती है, किन्तु ज्ञान का प्रसाद तो तब ही प्राप्त हो सकता है जब मन की पात्रता हो। उसके लिए ज्ञान में प्रवेश के पूर्व कर्म  उपासना का समुच्चय परम अवश्य है। अत: कर्म और उपासना के रहस्यों का प्रतिपादन किया गया है। और अंततः मृत्यु के समय की बहुत ही दिव्य हृदयस्पर्शी प्रार्थना और दृष्टि प्रदान की गई। इसे श्रवण करके प्रत्येक शिविरार्थी लाभान्वित हुआ।

सायं के सत्र में पू. स्वामिनी अमितानंदजी के द्वारा गीता के सातवें अध्याय ज्ञान विज्ञान योग पर प्रवचन किये गए। ज्ञान अर्थात बौद्धिक समज तथा विज्ञान अर्थात इस समज को हृदयान्वित करते हुए इस ज्ञान को अपना बनाना। ज्ञान से विज्ञान की यात्रा में व्यवधान अपने बारे में, दृश्य जगत के बारे में मोह का होना है।
अतः उसके रहस्य का ज्ञान तथा स्वरुप को समजने के लिए भगवान ने अपनी परा और अपरा प्रकृति का परिचय दिया कि इन्हीं  प्रकृति के माध्यम से इस जड़ - चेतन जगत रचना करते हैं। हम ही उन सब को अनेकों मणियों में के सूत्र की तरह व्याप्त करते हैं।  इस विज्ञानं की सिद्धि के लिए मोह के स्वरुप को बता कर उससे मुक्ति का तरीका भगवान ने बताया।

सायं श्री गंगेश्वर महादेव की आरती के पश्चात् रात्रि भोजन होता था। दिन का समापन सुन्दर भजन प्रस्तुति, स्तोत्रपाठ तथा प्रश्नोत्तर के कार्यक्रम से होता था।  प्रत्येक शिविरार्थी सभी कार्यक्रमों में बहुत उत्साह के साथ सम्मिलित होता था। २१ फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन प्रातः समापन का कार्यक्रम रहा।
इसमें प्रत्येक शिविरार्थी ने धन्यता के साथ अपने शिविर के अनुभवों को प्रस्तुत कियें। अंत में व्यास पीठ की पूजा के साथ गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। 

महाशिवरात्रि पर्व

महाशिवरात्रि का दिन स्वामिनी अमितानंदजी और स्वामिनी पूर्णानन्दजी के संन्यासदीक्षा का दिन होता है। अतः प्रथम पूजा तथा अभिषेक उनके द्वारा किया गया। शिविर समापन तथा गुरुदक्षिणा के कार्यक्रम के उपरांत अन्य पहरों की श्री गंगेश्वर महादेव की पूजा तथा रुद्राभिषेक शिविरार्थियों द्वारा सामूहिक रूप से की गई। गंगेश्वर महादेव की सुन्दर झाँकी सजाई गई। महादेवजी के दर्शन हेतु देर रात तक भक्तों का ताँता बना रहा। कई साधकों ने पूरी रात जगकर जप और ध्यान की साधना की। धन्यता और भक्तिसभर वातावरण में २२ फरवरी को शिविरार्थियों ने प्रस्थान किया।

Sundarkand Path, Indore

19 Jan 2020 :

After the completion of Monthly Hanuman Chalisa Satsangs, now in its place monthly Satsang on Sunderkand is being started - on the last Sunday of every month. Today on 19th Jan, the beginning was made with the Akhand Path of Sunderkand - by the Daas Bagichi Ramayan Mandal. The first Sunderkand Satsang is on 23rd Feb.

ॐ तत्सत्

Hanuman Chalisa Samapan & P. Guruji’s Birthday

१५ दिसंबर 2019 :

६ वर्ष से अनवरत रूप से चल रहे हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ का अंतिम प्रवचन दि. १५ दिसंबर २०१९ को वेदांत आश्रम, इंदौर में सायंकाल ६.३० बजे से प्रारम्भ हुआ। इस अनुष्ठान में माह के अंतिम रविवार को हनुमान चालीसा की एक चौपाई पर विस्तृत चिंतन होता था. कुल मिलकर चालीसा पर ७३ प्रवचन हुए। ये समस्त प्रवचन वेबसाइट पर सभी के लिए उपलब्ध हैं।

हर बार की तरह सर्व प्रथम दास बगीची रामायण मंडली द्वारा सुन्दर भजन प्रस्तुत करे गए, और फिर सबने हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। तदुपरांत पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंद जी द्वारा प्रवचन ३९वीं से प्रारम्भ होकर अंतिम दोहे तक चला। अंतमें हनुमानजी की आरती और प्रसाद वितरण हुआ। पूज्य गुरूजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में स्वल्पाहार का आयोजन किया गया था। सब भक्तों ने धन्यता से प्रसाद ग्रहण किया।

ॐ तत्सत्

Camp Conclusion :

CAMP @ VEDANTA ASHRAM

            24th Aug was the day of Sri Krishna Janmashtami and also the last day of the VEDANTA CAMP at Vedanta Ashram, Indore. The day started as usual with the Meditation session and after Aarti and a cup of tea was the first session of the pravachan on Upadesha Saram by Poojya Guruji Swami Atmanandaji. A second session also followed after a short tea break. Lunch was Phalahari but sumptuous & filling. Fasting was a break from normal cereals and salts. After some rest and tea was the concluding Dakshina Session of the camp in which the campers get an opportunity to share their experiences of the camp. It was very satisfying to see that everyone had a very comfortable and enlightening stay at the Ashram. All of them were overwhelmed and gratified by the knowledge and warmth of hospitality and look forward to more such sessions.