Vibhooti Darshan Yatra

Vibhooti Darshan Yatra

bird_19

यो देव: खगरूपेण द्रुतं उड्डयते दिवि।

नमस्तस्मै नमस्तस्मै नमस्तस्मै नमो नम: ।।

जो आकाश में तेज गति से पक्षी रूपसे उड़ान भरता है, उन परमात्मा को हमारा बारम्बार नमस्कार है।

श्री सौम्यकाशीश स्तोत्र – स्वामी श्री तपोवन महाराज

२३ और २४ नवंबर को पूज्य गुरूजी स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वतीजी के साथ आश्रम के अन्य महात्मागण तथा गुजरात के कुछ भक्तगणने थोल सरोवर, नल सरोवर तथा भावनगर की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान थोल सरोवर तथा भावनगर के मध्य में और आसपास विविध प्रकार के प्रादेशिक तथा सैलानी पक्षियों का दर्शन किया गया।

इसके अंतर्गत PAINTED STORK, POCHARD, KNOB BILLED DUCK, RUDDY SHELDUCKS, FLAMINGOS, PELICANS, RED-NAPED IBIS, NORTHERN SHOVELER आदि विशेष आकर्षण के केन्द्र रहें।

यात्रा के पीछे महत्वपूर्ण दृष्टि को समजते हुए इस यात्रा का नाम विभूति दर्शन यात्रा नाम दिया।

यह नाम अत्यंत सार्थक है, ईश्वरभक्ति की महिमा तो सभी शास्त्र बताते हैं , किन्तु ईश्वर की महिमा उनकी सुन्दर सृष्टि रूपा कलाकृति से ही ज्ञात होती है। यह अद्भुत सृष्टि और उसमें भी सुन्दर कलरव करते हुए रंगबिरंगी पक्षी विशेष आकर्षण के केंद्र बनते हैं।

गीता के १०वें अध्याय विभूति योग में भी भगवान ने अपने कलात्मक सृजन में विराजमान सुन्दर विभूति का प्रतिपादन किया। सम्पूर्ण सृष्टि हमारी ही विभूति हैं, किन्तु जो भी विषय तुम्हारा  ध्यान अपनी और बलपूर्वक आकृष्ट करें, उसे तुम अपने भोग की दृष्टि से नहीं, किन्तु हमारी ही विभूति जानों। यदि अपनी समस्त चिंताएँ, राग-द्वेष थोड़ी देरके लिए किनारे करके देखें, तो यह सृष्टि ही मंदिर बन जाती है, प्रत्येक वस्तु परमात्मा की ही याद दिलाता है। इस दृष्टि से यदि इस जगत को देखा जाएं तो ईश्वर की महिमा और भक्ति से अछूते रहा ही नहीं जा सकता है।

जीवन की व्यस्तता में मनुष्य उसे देखनेमें असमर्थ होता है। इसलिए उसके लिए समय निकाल कर अपने ही आस पास विराजमान पक्षी, पुष्प, समस्त प्रकृति को देखना चाहिए। इस यात्रा साथ में गए सभी भक्तों के लिए एक नई दृष्टि उत्पन्न करनेवाली और विस्मयकारी रही। यह कोई पिकनिक मात्र नहीं होते हुआ अध्यात्म साधना का एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा। 

Satsang @ Bhavanagar

Satsang @ Bhavnagar

24 नवम्बर को पूज्य गुरूजी स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वतीजी, आश्रम के महात्मा गण तथा अहमदाबाद के कुछ भक्तों के साथ भावनगर की यात्रा की। भावनगरके श्री केतन भाई दसाडियाने इस यात्राका प्रबंध किया। उनके पिताजी श्री बाबूभाई की विशेष इच्छा रही थी कि परिवार के सभी सदस्य पूज्य गुरुजीके साथ जुड़कर उनसे प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्राप्त करें। श्री केतनभाई के विशेष निवेदन पर पूज्य गुरुजीके भावनगर यात्राके लिए स्वीकृति देने पर पूरे  परिवार में हर्षोल्लास का वातावरण देखने को मिला। २4 नवम्बर को उनके निवास “श्री रेसीडेन्सी” पर एक सत्संग का आयोजन किया गया।

 
 

पूज्य गुरुजीने बताया कि वास्तविक शिक्षा व होती है जिससे हमारे जीवन के संताप दूर हो सके और हम अत्यंत प्रेरित, उत्साही, प्रेममय जीवन जी सके। जीवन में उतर चढ़ाव आना तो अवश्यम्भावी है, उसे चुनौति की तरह लेते हुए उत्साह से जीना चाहिए। किन्तु मन में कुछ ऐसी गठान होती है, जिससे जीवन में उलझते  हुए हतोत्साहित हो जाते है। उसे निपटने के लिए भगवान गीता में बताते हैं की प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में यज्ञ, दान और तप इन तीनों का समावेश होना चाहिए।

यज्ञ एक कर्म करने की एक स्पिरिट होती है, जिसे किसी भी कार्य में समावेश किया जा सकता है। साँस लेनेसे लेकर युद्ध तक में समावेश किया जा सकता है। पूजा, जप, कर्म अदि सबको यज्ञभाव से करना चाहिए। जैसे पूजा या हवन को किसी देवता की ख़ुशी के लिए करते है। वैसे ही सभी कर्म अपने स्वार्थ को किनारे कर के भगवन की ख़ुशी के लिए करते है।

यज्ञ कोई कर्म नहीं है, किन्तु यज्ञ उस साधना को बोलते है जिससे अपने स्वार्थ और स्वकेन्द्रित से कर्म करने से मुक्ति मिलती है। अपने बारे में निश्चिन्त होकर कर्म करने से अपने अंदर की उलजनों से मुक्त होते जाते है। स्वार्थ से मुक्ति और अपनेपन के विस्तार के लिए दान का भी अत्यंत महत्त्व होता है। दान से संकुचिता से बहार आते है।

जीवन में हम अनेको आदतों के वशीभूत होकर जीते हैं , उससे पराधीन होते जाते है। तप उस साधना का नाम है जो हमें अपनी आदतों के सिकंजे से मुक्ति दिलाती है। इतना ही नहीं, तपस्या हमारी संकल्प शक्ति को दृढ़ करके अपने निर्धारित किए हुए लक्ष्य की और बढ़ने के लिए उत्साहित करता है।

जीवन को उत्साही, प्रेममय, जीवंतता से युक्त करने के लिए यज्ञ, दान और तप इन तीनों का समावेश अनिवार्य हैं। इससे न केवल जीवन सुखी और सफल होता है, किन्तु मनुष्य जीवन के धर्म से लेकर मोक्ष तक के सभी पुरुषार्थ की सिद्धि हेतु सक्षम बनते जातें है।

सत्संग के आरम्भ में श्री रूपाबेन ने दीप प्रज्वलन किया तथा श्री केयूर भाई, श्रीमति हर्षिता तथा उनकी माताजी श्रीमति हंसाबेन ने पूज्य गुरूजी को माल्यार्पण एवं आरती करके स्वागत किया। रूपाबेन तथा हंसाबेन में सुन्दर गुजराती भजन प्रस्तुत किया। केयूरभाई की सुपुत्री न्यासा ने सुन्दर कत्थक प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम के शुभारम्भ को और भी जिवंत कर दिया। 

तत्पश्चात पूज्य गुरूजी ने प्रवचन में “यज्ञ, दान और तप” का जीवन में महत्त्व बताया। पूरे परिवार ने तथा सत्संग में पधारे हुए भक्तों ने प्रेम व श्रद्धापूर्वक श्रवणपान  किया  तथा अन्त में प्रसाद वितरण किया गया।पूज्य गुरूजी के आशीर्वाद से समस्त परिवार धन्य हुआ।

Visit to Statue of Unity

Statue of Unity

एकता का स्मारक :

२३ नवंबर को पूज्य गुरूजीने आश्रमके महात्मागण तथा गुजरात के कुछ भक्तों के साथ विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की मुलाकात की।
१८२ मीटर ऊँची यह प्रतिमा नर्मदा जिलेमें सरदार सरोवर बांधके पास विद्यमान है। यह भारत के सपूत, लोह पुरुष के नाम से जाने जाते , भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री श्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित स्मारक है।
इस मूर्ति को बनाने के लिये लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। सरदार वल्लभभाई पटेल की यह प्रतिमा देश को एकसूत्र में बांधने का सूचक है।

भारत देश में पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण विविधता और भिन्नता प्रतीत होते हुए भी एक ऐसा सूत्र है, जो की पुरे देशको एक सूत्र में बंधे रहता है। यह देखकर विदेशी लोग भी आश्चर्य करते हैं। भारत देश सतही धरातल पर विविधता के बावजूद अखंडता का सन्देश देनेवाले वेदशास्त्रो का उद्गमस्थान रहा है। यही जीवनदर्शन भारत वर्ष के ऋषि-मुनियों की अपूर्वता है। यदि समाज में, देशभर में, तथा विश्वभर में शांति की स्थापना करनी हो तो इस एकता और अखंडता के ज्ञान की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। 

यदि हम स्वयं एकता के सूत्र को देखेंगे तब ही विश्व भर में अखंडता और शांति की स्थापना के लिए निमित्त बन पाएंगे। प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी भी इस सन्देश के प्रति श्रद्धा रखते हैं। देश को एकता के सूत्र में बांधने हेतु इस स्मारक को श्री मोदीजी के द्वारा एक सुंदर पहल और प्रयास की तरह देखा जाना चाहिए।

यह स्मारक न केवल अपने लिए गर्व का विषय , किन्तु अखंडता और एकता के सन्देश का सूचक भी है। ऐसा सुन्दर कार्य निश्चित रूपसे सराहनीय है।

Gita Gyana Yagna, Ahmedabad

गीता ज्ञान यज्ञ, अहमदाबाद - नवंबर २०१९

अहमदाबाद के मणिनगर विस्तार में स्थित रामकृष्ण सेवा केंद्र में पू. स्वामिनी अमितानंदजी के गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। इस यज्ञ में पू. स्वामिनीजी ने सायं के सत्र में गीता के १५ वें अध्याय पुरुषोत्तम योग पर तथा प्रात: के सत्र में पंचदशी के नाटकदीप प्रकरण पर प्रवचन किएं।
      यज्ञ का श्रीगणेश रामकृष्ण सेवा समिति के ट्रस्टी श्री अशोकभाई शाह तथा योगाचार्य सु. श्री. हेतलबेन मोदी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा व्यासपीठ की पूजा से हुआ। यज्ञ के एक दिन पूज्य स्वामिनीजी ने रामकृष्ण सेवा समिति द्वारा संचालित योगासन की कक्षा में योग और समग्र जीवन विषय पर चर्चा की। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए भी बच्चें को अच्छे संस्कारों का सिंचन हेतु Pre Natal Education का महत्व बताया।

Gita Gyana Yagna, Ahmedabad

ગીતા જ્ઞાન યજ્ઞ, અમદાવાદ

યજ્ઞસ્થાન :

    અમદાવાદ નાં મણિનગર વિસ્તાર માં સ્થિત રામકૃષ્ણ સેવા સમિતિ માં પૂજ્ય સ્વામીની અમિતાનંદજી નાં સાત દિવસીય ગીતા જ્ઞાન યજ્ઞ નું આયોજન તારીખ 16 થી 21 નવેમ્બર 2019  સુધી કરવા માં આવ્યું.

    આ યજ્ઞ ની પ્રવચન શૃંખલા માં પૂજ્ય સ્વામિનીજી એ સવાર નાં સત્ર માં વિદ્યારણ્ય મુનિ દ્વારા રચિત પંચદશી નાં નાટકદીપ પ્રકરણ  ઉપર તથા સાંજ નાં સત્ર માં ભગવદ્દ ગીતા નાં અધ્યાય 15, પુરુષોત્તમ યોગ પર પ્રવચન કર્યું.

વિષય વિવરણ :

   નાટકદીપ પ્રકરણમાં નાટકશાળાનાં મંચ પરનાં દીપકનાં દૃષ્ટાન્તથી સાક્ષીનું સ્વરૂપ સુંદર રીતે સમજાવ્યું છે.

ગીતાનાં પંદરમાં અધ્યાય પુરુષોત્તમ યોગમાં ભગવાને સંસારને એક ઊંધા વૃક્ષ સાથે સરખામણી કરી ને સંપૂર્ણ સંસારની યાત્રા ને તથા એમાંથી મુક્તિ નાં ઉપાયરૂપે ક્ષર – અક્ષરનો વિવેક પ્રદાન કરીને, ક્ષર-અક્ષર પુરુષથી પરે પુરુષોત્તમને જગતનાં અધિષ્ઠાનરૂપે બતાવ્યું છે. પંદરમાં અધ્યાય ને સંપૂર્ણ શાસ્ત્ર ની સંજ્ઞા આપવા માં આવી છે.

યજ્ઞનાં શ્રીગણેશ :

  યજ્ઞનાં શ્રીગણેશ રામકૃષ્ણ સેવા સમિતિનાં ટ્રસ્ટી શ્રી અશોકભાઈ શાહે અને યોગાચાર્યા સુ શ્રી હેતલબેન મોદી દ્વારા દીપ પ્રગટાવી ને તથા વ્યાસપીઠ ની પૂજા કરીને કરવા માં આવ્યું. હેતલબેન દ્વારા સંચાલિત યોગવર્ગનાં સદસ્યોં ને પૂ. સ્વામિનીજી એ યોગ અને સમગ્ર જીવન વિષય પર પોતાનું ઉદ્બોધન આપ્યું. તે સિવાય ગર્ભવતી મહિલાઓ ને પણ ગર્ભધારણ સમયે બાળક ને કેવીરીતે સંસ્કારિત કરવાં , તેનાં પર માર્ગદર્શન આપ્યું.

Camp Conclusion :

CAMP @ VEDANTA ASHRAM

            24th Aug was the day of Sri Krishna Janmashtami and also the last day of the VEDANTA CAMP at Vedanta Ashram, Indore. The day started as usual with the Meditation session and after Aarti and a cup of tea was the first session of the pravachan on Upadesha Saram by Poojya Guruji Swami Atmanandaji. A second session also followed after a short tea break. Lunch was Phalahari but sumptuous & filling. Fasting was a break from normal cereals and salts. After some rest and tea was the concluding Dakshina Session of the camp in which the campers get an opportunity to share their experiences of the camp. It was very satisfying to see that everyone had a very comfortable and enlightening stay at the Ashram. All of them were overwhelmed and gratified by the knowledge and warmth of hospitality and look forward to more such sessions.

हनुमान चालीसा सत्संग :

अक्टूबर २०१९

हनुमान चालीसा का इस माह का सत्संग दिनांक २०/१० को वेदांत आश्रम, इंदौर में सायंकाल ६.३० बजे से प्रारम्भ हुआ। इसमें सर्व प्रथम रामायण मंडली द्वारा सुन्दर भजन प्रस्तुत करे गए, और फिर सबने हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। तदुपरांत पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंद जी द्वारा ३५ वीं और ३६ वी चौपाइयों पर प्रवचन हुए। अंत में सबने हनुमानजी की आरती करी और प्रसाद वितरण हुआ।

Gita Gyana Yagna, Lucknow :

गीता ज्ञान यज्ञ, लखनऊ

वेदान्त मिशन, लखनऊ द्वारा पू. स्वामिनी अमितानंदजी के गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन लखनऊ के लालबाग में स्थित हरि ॐ मंदिर में किया गया। इस यज्ञ में पू. स्वामिनीजी ने सायं के सत्र में गीता के १२ वें अध्याय पर तथा प्रात: के सत्र में केनोपनिषद ३ - ४ खण्ड पर प्रवचन किए।
      यज्ञ के अंतिम दिन हरि ॐ मंदिर द्वारा भण्डारे का आयोजन किया गया।